Thursday, March 11, 2010

wah ladki

वह लड़की 

एक बच्ची खेल रही थी 
सड़क के किनारे तपती धूप में 
सहमते हैं लोग जिस तेज से
उसी की परछाई में बैठ वह 
खेल रही थी कुछ पत्तों से
ये वही पत्ते हैं जो सह न सके 
प्रचंड ताप को 
कुछ ही दूरी पर बन रही है सड़क
रोलरों और दमरों  की गति 
लू को भी दे रही है चुनौती 
पत्थर और अलकतरा डालती 
व्यस्त हैं औरतें अपनी काम में 
अंगारों पर चलने वाली 
इन्ही में से एक है माँ 
उस बच्ची की
जिसके अर्धनग्न बदन को
कर दिया है काला 
सूर्य की तेज ने
मां की ही बुलंद हौंसलें की तरह 
इस बच्ची के भी हैं हौंसलें बुलंद 
जो आँखों को मल कर 
लू के थपेड़ों में भी मुस्कुरा रही है
हथोंड़ों, कुदाल और बेलचे को ही 
अपना खिलौना मान रही है
दमरों और रोलरों की गडगडाहट पर 
नाचती है वह लड़की 
पत्थरों की पटकने की धुन पर 
गाती है वह लड़की 

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