Sunday, May 2, 2010

आईने के सामने

आईने के सामने

होता है सामना

वास्तविकता से मेरा

जब मैं खड़ा होता हूँ

आईने के सामने

करना होता है मुझे सामना

उस विम्ब का

जो मेरा अपना होता है

यह वही विम्ब है

जो हर अच्छे-बुरे कर्म में

मेरे साथ रहा

सब कुछ देखा

पर कभी कुछ न कहा

उस वक़्त भी

जब खोया था इमान मेरा

उस वक़्त भी

जब जागा था शैतान मेरा

यह तो हर उस कर्म का भी साक्षी है

जो मैंने अँधेरे में किया

दुनिया से छुपाता रहा असली चेहरा

पर विम्ब ने तो

सब देख ही लिया

आईने के सामने खड़े होने पर

अब विम्ब मुस्कुराता है

हिम्मत है तो करो मेरा सामना

हर पल एहसास दिलाता है

कभी कभी सोंचता हूँ

खोया जो आकर यहाँ

वह तो मेरा अपना था

पाया जो आकर यहाँ

वह तो मेरा सपना था

जानना था जिस विम्ब को

वह भी मेरा अपना था