पत्रकार
सपनों की दुनिया भी अजीब होती है
जिंदगी के करीब होती है
हो जाये पूरी तो नसीब
नहीं तो ये गरीब होती है
अक्सर आता है सपना मुझे
की मैं पत्रकार हूँ
समाज की हर बुराई से लड़ने को
तैयार हूँ
लोगों की चेतन जगा रहा हूँ
समाज से हर बुराई को भगा रहा हूँ
पर मैं तो अपाहिज हूँ हांथों से
पकड़ नहीं सकता कलम
इन हांथों से
आपहिज होने के कारण रह जाती है
कभी कलम गिरवी
बुझती है आग पेट की
पर मान में है कुछ दहकती
क्या पेट की है इतनी बड़ी मजबूरी
मन से है पेट की इतनी ज्यादा दूरी
अब तो मैं सपनो की दुनिया में ही रहना चाहता हूँ
पेट तो छोटा कर आदर्श में ही जीना चाहता हूँ.
Saturday, October 10, 2009
Sunday, August 30, 2009
गरीब बनने की हसरत
छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश के गरीबों की भलाई के लिए तीन रुपये किलो चावल की योजना शुरु की है। गरीबों को इस योजना का कितना लाभ मिल रहा होगा इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की आब सक्षम लोग भी गरीब बनने की हसरत रख रहे हैं। रविवार को फर्जी बिपिअल कार्ड पकड़ा गया. राजधानी रायपुर के बिरगांव इलाके में ढाई हज़ार रुपये में फर्जी कार्ड बन रहे है। जो लोग सरकारी नौकरी में हैं वो भी गरीब बनाना चाहते हैं, जो भी हो यह स्पस्ट है की गरीबी अभिशाप नही है। जिन लोगों के लिए यह योजना बनाई गई थी वो इसका कितना लाभ ले रहे हैं यह अभी स्पस्ट नही हो पाया है पर दुसरे जी खोल कर इसका लाभ ले रहे हैं। ये अभी स्पस्ट नही हो पाया है की सरकारी कार्ड खुले आम बाज़ार में कैसे पहुँच गए। इन कार्डों में सरकारी मोहर भी लगी है। मज़े की बात ये है की कार्ड के पहले पेज में किसी और का नाम और फोटो लगा है जबकि अंतिम पेज में किसी और का नाम है। जिस दुकान से राशन लेना है उसका भी जिक्र है। ये हाल राजधानी का है प्रदेश के दुसरे हिस्सों में क्या हो रहा है इसके बारे में अभी अंदाजा लगना मुस्किल है। इसे सरकार की योजना की नाकामी कहें या कुछ लोगों की धूर्त जो दूसरो की हाक हमेसा मरने की सोचते हैं.
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