Sunday, March 28, 2010

हंसी

हंसी 
खिलखिला कर हंस रहा है 
वो बच्चा क्यों 
क्या छेड़ा किसी ने 
व्यंग प्रसंग
या उड़ा रहा है 
उपहास किसी का 
या दिखा किसी का
नग्न अंग 
या तबाह हुआ घर किसी का 
या हुआ किसी का स्वप्न भंग
या गिरवी रह गयी 
किसी की इच्छा 
उसकी पगड़ी के संग
या विभक्त हुआ है आज फिर 
लहू का रंग 
पर क्या जाने ये बाल मन 
दुनिया के सारे छल प्रपंच 
होती जहाँ छुपी हंसी में भी 
कुटिलता के तरंग

Sunday, March 14, 2010

बेटी

बेटी 
माँ मैं भी पढ़ना चाहती हूँ 
भैया की तरह मैं भी स्कूल जाना चाहती हूँ
पापा के साथ मैं भी चलना चाहती हूँ 
तुम मेरे लिए भी सुबह नास्ता बनाना 
भैया के तरह अपने ही हांथों से खिलाना 
तुम मेरे भी नखरे सहना 
इंतजार में मेरे भी दरवाज़े पर रहना 
माँ मैं जानती हूँ मेरे जन्म पर 
तुम कितना रोई थी 
दादा, दादी और पापा के 
कितने ताने सही थी 
उम्मीद  थी तुम लोगों को बेटे की 
जो कुल का नाम रोशन करेगा 
खानदान को आगे बढ़ाएगा 
और बुढ़ापे की लाठी कहलायेगा 
पर मेरे आने पर सभी ने मातम मनाया 
हर खिलोने के  लिए मुझ पर एहसान जताया 
इन एहसानों के बोझ तले 
अब मैं दब रही हूँ 
तुमलोगों के प्रेम के लिए 
अब भी तराश रही हूँ 
माँ तुम्हारी कोख में मैं भी 
भैया की तरह नव महीने तक रही 
जन्म मेरे भी तुम वही कष्ट सही 
माँ मैं भी तो हूँ तुम्हारी संतान 
मैंने भी तो किया तुम्हारे स्तनों का पान
फिर भैया से ही केवल क्यों करती हो प्यार 
बेटी के साथ ये कैसा दोहरा व्यवहार 
माँ मैं भी बन सकती हूँ तुम्हारा सहारा 
मौका दो जीत कर दिखला सकती हूँ जग सारा

Thursday, March 11, 2010

wah ladki

वह लड़की 

एक बच्ची खेल रही थी 
सड़क के किनारे तपती धूप में 
सहमते हैं लोग जिस तेज से
उसी की परछाई में बैठ वह 
खेल रही थी कुछ पत्तों से
ये वही पत्ते हैं जो सह न सके 
प्रचंड ताप को 
कुछ ही दूरी पर बन रही है सड़क
रोलरों और दमरों  की गति 
लू को भी दे रही है चुनौती 
पत्थर और अलकतरा डालती 
व्यस्त हैं औरतें अपनी काम में 
अंगारों पर चलने वाली 
इन्ही में से एक है माँ 
उस बच्ची की
जिसके अर्धनग्न बदन को
कर दिया है काला 
सूर्य की तेज ने
मां की ही बुलंद हौंसलें की तरह 
इस बच्ची के भी हैं हौंसलें बुलंद 
जो आँखों को मल कर 
लू के थपेड़ों में भी मुस्कुरा रही है
हथोंड़ों, कुदाल और बेलचे को ही 
अपना खिलौना मान रही है
दमरों और रोलरों की गडगडाहट पर 
नाचती है वह लड़की 
पत्थरों की पटकने की धुन पर 
गाती है वह लड़की